याचना

by - October 09, 2019




         


श्रद्धा सुमन अँजुरी भर
भेंट की हमने अम्बे माँ को 
एक आशा और विश्वास से 
हो पायेंगे हम  विजयी  
क्रोध पर क्षमा से 
अधर्म पर धर्म से 
अत्यचार पर सदाचार से। 

पड़े आहुति
शुम्भ-निशुम्भ
और चण्ड-मुण्ड
से पतित विचारों की।
हो वध,महिषासुर से
दुष्कर्म हमारे...

समाज का वह
खोखला हिस्सा,
जिसमें पनप रहे रावण
अनजाने,अनदेखे
धड़कन  बढ़ाते...
वध हो उनका।

न हो संग्राम और पतन 
मानवता का
मद्धम-मद्धम
भर जाये
कलश
प्रेम का...




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