तालाश

by - August 07, 2019





             

 किसके हित
 लिए कौन
 जला ?
प्रश्न ज्वलंत
 आज है...
ऋषिकेश की
 निर्मल निश्चल
 गंगा
या 
ऊँची इमारतें, मैट्रो
 के लिए
 बंजर हो 
 रही 
 धरा?
 भागदौड़ भरी 
  जिंदगी ढूंढ
रही क्या?
कस्तूरी मृग 
की तरह 
दर-दर 
भटक रहा। 
कोलाहल है 
 आलोचना,
 बड़ी-बड़ी।
सुख की 
परिभाषा
 बदल गई!
 इस धरती
 पर  हम 
"स्व" को
 ढूंढ सके....
हे देव!
ज्ञान दो..
वर दो..




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