सुखद विनिमय!...
“ Was not writing poetry a secret transaction , a voice answering a voice “.... Virginia Woolf.
आंतरिक शब्दावली कोलाहल से परे
सारगर्भित,भावनाओं से ओतप्रोत,
कल्पना और रचनात्मक का बोध कराती है
जहां पर आदान-प्रदान होता है मौन स्वरों का
जो संवेदनशील है और हृदयस्पर्शी भी
बाह्य और आंतरिक उद्घोष में लयबद्ध
संवाद और वार्तालाप
कविता बनकर बोलने लगते हैं
है ना ये उत्तर और प्रतिउत्तर का अतिसुंदर
सुखद विनिमय!
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