राम लला का सूर्य तिलक

by - April 17, 2024








रामनवमी की हार्दिक बधाई 

प्रभु श्री राम का जन्म त्रेतायुग में अयोध्या में हुआ था। वे राजा दशरथ और कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में, दिन के 12 बजे पुष्य नक्षत्र में नवमी तिथि हुआ था। 


वे इक्ष्वाकु वंश में जन्मे थे, जिसकी स्थापना सूर्य के पुत्र राजा इक्ष्वाक ने की थी, इसलिए भगवान राम को सूर्यवंशी भी कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार राम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे ‌।

श्री राम के जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर आज 17 अप्रैल 2024 को रामनवमी मनायी जा रही है। 500 वर्षों बाद इस शुभ अवसर पर अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार रामलला का दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर सूर्याभिषेक हुआ। दोपहर 12 बजे भगवान रामलला के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ी तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वयं सूर्य देव ने सूर्याभिषेक किया है।

विज्ञान के चमत्कार से रामलला का हुआ भव्य सूर्य तिलक। सूर्य तिलक के लिए देश के वैज्ञानिकों ने खास तैयारी की थी। मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर लगे दर्पण पर ठीक दोपहर 12 बजे दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणे एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरा दर्पण लगा है। इस दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ गयी। 

दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य की किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़ेंगे, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी। लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर एक और दर्पण लगा है। बढ़ी हुई तीव्रता के साथ किरणें इस दर्पण पर पड़ेंगी और 90 डिग्री पर मुड़ जाएगी। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर पड़ी। 

अत्याधुनिक वैज्ञानिक विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए, 5.8 सेंटीमीटर प्रकाश की किरण देवता के माथे पर गिरी। दोपहर 12 बजे से लगभग 3 से 3.5 मिनट तक, दर्पण और लेंस के संयोजन का उपयोग करके सूर्य की रोशनी को मूर्ति के माथे पर निर्देशित किया गया था। इस तरह से राम लला का सूर्य तिलक पूरा हुआ।

अयोध्या में राम मंदिर बनने और प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है। इस दृश्य को देखकर पूरा जग भाव विभोर हो उठा। इस अद्भुत क्षण के साक्षी बने विश्व भर के करोड़ों राम भक्त।

 🙏जय श्री राम 🙏




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