मकर संक्रान्ति

by - January 13, 2021


 मकर संक्रान्ति का पावन पर्व और साल का पहला मुख्य त्योहार। आज १५ जनवरी को सम्पूर्ण भारतवर्ष में उल्लास से मनाया जा रहा है। 
 मकर संक्रान्ति यानि सूर्यदेव ,पतंग और तिल-गुड़। 
 देश के विभिन राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग नामों से मनाते हैं । मकर संक्रान्ति के नाम से प्रचलित इस पर्व को उत्तराखंड में घुघुतिया,और दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाया जाता है। 
 इस दिन सूर्य उत्तरायन होता है। सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में जाने को ही संक्रान्ति कहते हैं। भगवान सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि पर पहुँचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। यानि सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं अर्थात पृथ्वी  का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की तरफ घूम जाता है। जिसकी वजह से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है।

उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान और दान -पुण्य  करने का महत्त्व  है। इस काल से देव प्रतिष्ठा ,गृह निर्माण ,यग, पूनीत कार्य आरंभ हो जाते हैं। 

मकर संक्रांति की एक और भी कथा प्रचलित है जो भीष्म पिता से जुड़ी है। उन्होंने अपना शरीर त्यागने के लिए आज के दिन को चुना था। उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है।इस दिन स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि क्रियाओं का विशेष महत्व है। 

प्रातः से ही सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोग विविध रूपों में सूर्यदेव की उपसना एवम आराधना करते हैं। मान्यता है की इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर जाते हैं। 
इस पर्व से जुड़ी दूसरी कथा यह है की मकर संक्रांति के दिन राजा भगीरथ के पीछे चलकर गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जा मिली थीं। 

दान का यह पर्व भारत के विभिन्न प्रांतों में अलग अलग नाम से  मनाया जाता है 


हरियाणा में लोहड़ी के रूप में मकर संक्रान्ति से एक दिन पहले मनाया जाता है। अग्नि प्रज्जवलित कर लोग उसकी परिक्रमा करते हैं तथा उसमें तिल,गुड़,चावल और मकई कीआहूति दी जाती है। 
उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन खिचड़ी खाने एवं दान करने की प्रथा है। 
बिहार में मकर संक्रान्ति के दिन लोग उड़द दाल, चावल, चिवड़ा ऊनी वस्त्र,कम्बल आदि दान करते हैं। 
असम में माघ-बिहू या भोगली -बिहू के नाम से प्रसिद्ध है और फसल काटने की खुशी में मनाया जाता है।  
गुजरात में इस त्योहार केअवसर पर पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है। बच्चे और बड़े दोनों ही इसमें हिस्सा लेते हैं। 

क्या आपको मालूम था फसलों एवं किसानों का यह त्योहार भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और तीर्थ करते हैं। तिल और गुड़ का विशेष महत्व है और उसका प्रसाद भी बाँटा जाता है।इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं, लेकिन दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान है। विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है। तिल और गुड़ के गज़क, लड्डू और अनेक प्रकार की मिठाइयाँ घरों और दुकानों पर बनती हैं। 

तिल-गुड़ आपस में मेलजोल बढ़ाने के साथ आपसी बैर-भाव भूल कर प्यार का सन्देश देता है।  
मकर संक्रांति का ये संदेश महाराष्ट्र में एक कहावत के रूप में प्रचलित है:-


 “तिळगुळ घ्या गोड गोड बोला”.
 Take sweets, talk sweet be sweet

ग्रामीण कहावत:-

"गोड़ गोड़ खा आणि गोड़ गोड़ बोल "
जिसका अर्थ है
"मीठा खाओ मीठा बोलो"



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