जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
तुम
कौन से शब्द, भाषा कौन सी ?
अलंकार, मात्रा या विसर्ग
कैसे किधर संयोजित करूँ
क्या लिखूँ, कैसे लिखूँ?
क्या लिखूँ तुम पर,
क्षंद लिखूँ या गद्य लिखूँ ?
सरगम लिखूँ या राग,
संगीत लिखूँ या गीत?
इश्क़ में इबादत तुम्ही हो
पुष्पों में सुगन्ध तुम्ही हो
अचर में तुम, चर में भी तुम
अंधकार में तुम, प्रकाश तुम्हीं हो।
अज्ञान में ज्ञान तुम्हीं हो
प्रारंभ भी तुम, अंत भी तुम
रचयिता तुम्हीं, संहारक तुम्हीं
सृष्टि के पहले भी, सृष्टि के बाद भी तुम।
लेखनी मेरी इतनी बलिष्ठ नहीं
क्या लिखूँ, कैसे लिखूँ?
अचिन्त्य, अगम्य, अगोचर
ब्रह्म तुम ही हो...
4 comments
A very good command over Hindi and a sincere prayer.
ReplyDeleteThanks for liking and reading!!!
DeleteWow nice poem!!! Sat sat Naman������
ReplyDeleteThank you!
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