प्रदूषित हवा

by - November 06, 2019


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Image credits:CNN.com
         

सर्द हो रही फ़िजा
ओस  की सुनहरी बूंदों से
नम पड़ी भोर की घास
दस्तक है शरद ऋतु 
के आगमन की।

जमी धूल की परत
हवाओं की खुशबुओं में
तमाम गर्द,
सर्द एहसासों सी मलिन
निर्जीव है हवा।

स्याह तम,फैला है वातावरण में
प्रदूषित हो रही हवा
परिस्थितियों के विपरीत
आहत है मन
इक सवाल, क्यों निश्चल नहीं रही हवा?

अवनी संग बदल रहा आसमाँ,
ज़ख्म गहरा रहा...
उम्मीदों की आस
अभी भी बाकी है...
एक वादे की दूरी पर...

मनुज अन्वेषण करें
हर दृष्टिकोण से
ताकि बन सके
पवन शुद्ध  निर्मल
हमारे लिये।

आगे की पीढ़ी को मिले
 तम-रज विहीन
 खनकती, खुशनुमा
 पवित्र,मुस्कुराती
 गुनगुनाती हवा।

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