अर्ज़ किया है
उनसे नज़रें मिलाना एक हसीन हादिसा था
कि जिंदगी को सहारा उनकी बाहों में मिला
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वहम में जी रहा था, खुशी के जाम पी रहा था
आबाद नहीं बर्बाद हो रहा था
एतबार को मिली बेवफाई
अज़ाब तुम क्या जानो बहुत दूर जा चुके हो
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अज़ाब कोई इतना गहरा नहीं, कि वक्त मिटा ना सके
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मेरे दहलीज पर तेरे पांव
तेरी आंखों में गुनाह का इक़रार
दिल के जख्म को मरहम की क्या दरकार
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