SHAYARI

by - January 24, 2024



 




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सांसों की हरकत को जीना कहें तो हां जी रहा हूं मैं
वरना जो ज़ख्म दिए तुमने मुझे 
उन पर अपने इश्क से मरहम लगा रहा हूं


©️अंजना प्रसाद
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भटकते भटकते पैर ज़ख्मी हो गए 
पर आपकी यादों से हम बिछड़ ही ना पाए

©️ अंजना प्रसाद


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