विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
साल में एक बार फिर रावण जला!
बुराई पर विजय का पर्व मना रहा मनुज
हर बार पुतला जलाकर
पटाखे फोड़ कर
खुशियां मना कर
कलुषित हो रही वसुंधरा
राम का रूप धर
कितने रावण विचरते हैं ?
हर मुख में है रावण
मुखौटे के पीछे
राम कौन? रावण कौन?
इस युग में नहीं कहीं अशोक वाटिका
अट्टाहास कर रहा दस मुख से रावण
साल में एक बार फिर रावण जला लो
कल फिर क्या?
अंतर्मन में झांको, राम या रावण बसा?
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