प्यार का मौसम
प्यार का मौसम
मिठास है कितना तेरे प्यार में प्रिय
घुल रही मिश्री सी, मेरे रोम रोम में
हर लम्हा एक हसीं ख्वाब सा
लगता है तेरे प्यार में
उस पर ये प्यार का मौसम
ऐसा रंगरेज बना है
रंगे जा रहा है प्रकृति को
और हर रोज मुझे
सर्द हवाओं में
रूहानियत और इश्क है
प्रेम की लहर फैली
प्यार का उत्सव है
बसंत ने चलाई है जादू की छड़ी
नींद है पलकों में, मगर नींद आती नहीं
गोते लगा रहा मन
नेह के सागर में
चहूं ओर प्रेम, उमंग है
मिठाई नहीं चॉकलेट का मौसम है
समा है ये प्यार का
दुआ यही रब से
अपने प्रेम की पवित्रता
प्रेम में मिठास बनी रहे
यूं ही, जन्म जन्मांतर तक...
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