मुखौटा

by - July 01, 2020


मिलता बाज़ारों में कृत्रिम चेहरा,
 वही तो है मुखौटा
जानवर हो या जोकर रंगबिरंगा, लुभावना
लगा लो चेहरे पर तो 
बनो महफ़िल  की शान
बड़े शौक से पहने 
 स्त्री -पुरुष, बूढ़े  या फिर बच्चे नादान।

छुपा चेहर, छुपा राज़,
परछाईयों में जीता इंसान
जिसकी कथनी और करनी में विविधता,
जैसे कोई बहरूपिया
दंभ, फरेब, नफरत का नक़ाब 
पहने मनुज जीने को हरपल,
 आवरण झीना। 

करने को संकीर्ण
 मानवता की परिभाषा
मलिन होता चेतन,
 हनन होती चेतना।

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