(Image credits:soul-guidance.com)
शांति कहाँ मिलेगी ?
अहिंसा और शान्ति के मार्ग पर
या खुद के अंदर
बिरले को ही मिलती है परम शांति
ईश्वर मेहरबाँ हो जब।
चारों तरफ घेराबंदी है
बाहर सन्नाटों की बस्ती है
श्रमिक,औरतें और बच्चे बिलख रहे
जो भूख- प्यास ने छीन ली शान्ति उनकी।
मौत की कटार अनदेखी ऐसी चली
कि अर्थी जनाज़ों की देखकर
लहू के आंसू रो पड़ा मरघट
भी अपनी तक़दीर पर।
कि दो गज़ जमीं भी न दे पाया
चिर निद्रा के लिये
तो दुआ उसने भी की
की मिल जाए मनुष्य को शांति का टापू कहीं।
0 comments