उम्मीद

by - April 15, 2020

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उम्मीद  तुझ  पर ही टिकी है जिन्दगी 
तू  धूरी विश्वास की अदृश्य ,अप्रत्यक्ष 

 तिमिर बादल से जीवन हुआ आच्छादित  
सौदामिनी ऐसी कि होये अंधकार पराजित 

जिसने जब भी तेरा दामन  छोड़ा 
मरूस्थल सा जीवन जिया 

आस तू ऐसा की पथरीली भूमी 
पर भी बीज से अंकुर फूटे 

उम्मीद का डोर जो थामे 
हौसले की उड़ान को पंख मिले 

आज की तारीख़ में दर्द और खौफ है 
उम्मीद ही तो है जिस पर जी रहे सभी 

ये दिन भी जल्द बीत जायेंगे 
ढला नहीं है उम्मीदों का सूरज...

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3 comments

  1. Very true! Better times will surely come! Hope still lives!

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  2. Truer words have not been spoken!
    Thanks for visiting and great words.

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  3. उम्मीद को एक अर्थ दिया है आपने , फिर से प्रकाशित किया है। एक नई परिभाषा, एक नई सोच।

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