फाल्गुन के रंग
सर्द हवा को लगी तापने
सुनहरे सपनों सी मृदु
दिल को दे रही सुकूँ।
बदलाव मौसम का
धरती से वृहद अम्बर
को बना रहें सजीलें।
मधुर गान कोयल की सुरीली
उपवन में थिरके,
तितलियाँ रंगीली
बिछी सरसों की चादर पीली
खेतों में दूर-दूर तक...
सिंदूरी पुष्प पलाश के
अंगारे से दहकते
मनमोहक !
अप्रितम दृश्य
सब मिलकर रच रहे
कोई कविता अनोखी।
अनायास ही मुस्कुरा रही
है धरती
पर भड़की जो
मन में सुर्ख लाल रंग
नफरत की...
दहक रही
सुलग गयी
राजधानी
जलती कहानी मानवता की
बनी विश्व पर अभिशाप सी।
सुनहरे सपनों सी मृदु
दिल को दे रही सुकूँ।
बदलाव मौसम का
धरती से वृहद अम्बर
को बना रहें सजीलें।
मधुर गान कोयल की सुरीली
उपवन में थिरके,
तितलियाँ रंगीली
बिछी सरसों की चादर पीली
खेतों में दूर-दूर तक...
सिंदूरी पुष्प पलाश के
अंगारे से दहकते
मनमोहक !
अप्रितम दृश्य
सब मिलकर रच रहे
कोई कविता अनोखी।
अनायास ही मुस्कुरा रही
है धरती
पर भड़की जो
मन में सुर्ख लाल रंग
नफरत की...
दहक रही
सुलग गयी
राजधानी
जलती कहानी मानवता की
बनी विश्व पर अभिशाप सी।
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