सुनहरे शब्दों का संगम है कविता,
कवि के मन का दर्पण है कविता।
उठाता है कवि जब कलम,
स्याही बन जाती है कविता।
रवि का प्रकाश न जा पाए जिधर
तीर-सी भेद उस कोने को, जाती है कविता।
कवियत्री का अलंकार ये,
सरिता जैसी शीतलता पहुँचाती है कविता।
कागज के पन्नों को कुंदन सी अलंकृत
करती ,जौहरी बन कर कविता।
प्रातः से निशा, गृहणियों की सिमटी ज़िन्दगी,
जैसी पुस्तक में बंद कविता।
समय के साथ बदल रही स्वरुप
अब चाँद-सितारों से परे है कविता।
दुनिया का दर्द, इंसानियत का ज़ख्म
की सच्चाई,को बयान करती है कविता।
नैतिकता के दमन, मानवता की दाह,
से जल रही कविता की चिता।
भूख से तड़पते बच्चे के पसरे हाथों को,
देख सिसकती है कविता।
सुहाने सपनों को नींद से निकाल कर,
यथार्थ बनाती है कविता।
धर्म-जाती की लाशों पर दौड़ती,
स्वर्ग का बोध कराती है कविता।
कवि के मन का दर्पण है कविता।
उठाता है कवि जब कलम,
स्याही बन जाती है कविता।
रवि का प्रकाश न जा पाए जिधर
तीर-सी भेद उस कोने को, जाती है कविता।
कवियत्री का अलंकार ये,
सरिता जैसी शीतलता पहुँचाती है कविता।
कागज के पन्नों को कुंदन सी अलंकृत
करती ,जौहरी बन कर कविता।
जैसी पुस्तक में बंद कविता।
अब चाँद-सितारों से परे है कविता।
दुनिया का दर्द, इंसानियत का ज़ख्म
की सच्चाई,को बयान करती है कविता।
नैतिकता के दमन, मानवता की दाह,
से जल रही कविता की चिता।
देख सिसकती है कविता।
सैनिकों की बन्दुक सी राष्ट्रवाद के,
दायित्व को जगाती है कविता।
दायित्व को जगाती है कविता।
सुहाने सपनों को नींद से निकाल कर,
यथार्थ बनाती है कविता।
स्वर्ग का बोध कराती है कविता।
5 comments
Adbhut Kavita Adbhut!! Aapne Ek Kavita ki sacchai shabdon mein Bahut Khoob piroi hai
ReplyDeleteKavita par Kavita!! Nice observation
ReplyDeleteGreat feedback! Thanks!
DeleteNice liked it
ReplyDeleteThankyou!
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